पंजीयन क्र. 04/14/01/08825/06   स्थापना वर्ष-1994

MP & CG Parishad

परिषद् का इतिहास

अवसर था, अखिल भारतीय दर्शन-परिषद् के 38वें अधिवेशन का, जो 18-20 मई, 1994 ई० को मध्य प्रदेश का ‘शिमला’ कही जाने वाली ‘सतपुड़ा की रानी’ पचमढ़ी में आयोजित हो रहा था। यह आयोजन दर्शनशास्त्र विभाग, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर के तत्वावधान में दर्शनशास्त्रीय चिंतन हेतु उर्वर भूमि रुपी अरण्य क्षेत्र में इसलिए भी अधिक प्रासंगिक था, क्योंकि ग्रीष्मकाल, पहाड़ों की वादियाँ और दर्शन के चिन्तन की त्रिवेणी अद्भुत दृश्य उपस्थित कर रही थी। इस अवसर पर अविभाजित मध्यप्रदेश के लगभग सभी ख्यातिनाम दार्शनिक उपस्थित थे। उपर्युक्त अवसर और दर्शन के अध्यापकों की मानसिकता देखते हुए प्रो० छाया राय के मन में मध्यप्रदेश दर्शन-परिषद् के विचार का बीजारोपण हुआ। देखते ही देखते परिषद् का निर्माण हुआ, जिसकी प्रथम अध्यक्ष प्रो० छाया राय तथा महामंत्री प्रो० सुरेन्द्र सिंह नेगी मनोनीत हुए। तत्पश्चात् किन्हीं अन्य अधिवेशनों अथवा संगोष्ठियों से जुड़कर मध्यप्रदेश दर्शन परिषद भी उपस्थिति दर्ज कराती रही। इसी क्रम में 1999-2000 ई० में IPC (भारतीय दार्शनिक महासभा) के नई दिल्ली अधिवेशन में भी परिषद् ने एक अंतरिम सत्र आयोजित किया था। सन् 2000 ई० में मध्य प्रदेश का विभाजन हुआ और पृथक् छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया। छत्तीसगढ़ के दार्शनिक आचार्यों ने यह निर्णय लिया कि छत्तीसगढ़ अविभाजित रूप से बौद्धिक एवं अकादमिक स्तर पर मध्यप्रदेश दर्शन-परिषद् के साथ रहकर अपना योगदान करेगा। इस प्रकार अद्यावधि मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ एक ही दर्शन परिषद् के बैनर तले कार्य करते हैं। 2005 ई0 में दर्शन परिषद् (मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़) में एक ऐतिहासिक मोड़ आया, जब इस परिषद् ने दर्शन के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित किये। जबलपुर के शासकीय मानकुंवर बाई महिला महाविद्यालय में प्रथम स्वतंत्र अधिवेशन 5-6 मार्च 2005 ई0 को हुआ। इसे तत्कालीन अध्यक्ष डॉ० इन्द्रा वर्मा की प्रेरणा से सम्पन्न कराया गया, जिसके सूत्रधार डॉ० ज्योति स्वरूप दुबे थे। वास्तव में 1994 से 2005 ई० तक इस परिषद् का कोई भी स्वतंत्र अधिवेशन सम्पन्न नहीं हो सका था, क्योंकि परिषद् का पंजीयन नहीं हुआ था, साथ ही इसे कोई अनुदान प्राप्त नहीं होता था। तत्पश्चात् अनेक प्रयासों से 2005 ई0 में इस अधिवेशन हेतु परिषद् को प्रथम अनुदान के रूप में रूपये 35000.00 (पैंतीस हजार मात्र) की राशि 'भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्' से प्राप्त हुआ, जिससे यह आयोजन सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ। इसी अधिवेशन में सर्वसम्मति से कार्यकारिणी में परिवर्तन कर प्रो० सुरेन्द्र सिंह नेगी को अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। प्रो० छाया राय ने डॉ० ज्योति स्वरूप दुबे को महामंत्री बनाने हेतु प्रस्ताव रखा जो सर्वसम्मति से स्वीकृत हुआ। 2006 ई0 में डॉ० ज्योति स्वरूप दुबे ने अपने प्रयासों से इस परिषद् का विधिवत पंजीयन (जबलपुर) फर्म्स एण्ड सोसाइटिज में कराया जिसमें इस परिषद् का पंजीकृत नाम 'दर्शन परिषद्' तथा इसका क्षेत्राधिकार 'मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ रखा गया। इसका पंजीयन क्रमांक 04/14/01/08825/06 है । परिषद् का प्रतीक चिह्न, जिसमें अविभाजित मध्य प्रदेश के मानचित्र को आर्ष वाक्य 'चरन् वै मधु विन्दति' के साथ तत्कालीन महामंत्री प्रो० ज्योति स्वरूप दुबे द्वारा प्रस्तुत और आम सभा द्वारा स्वीकृत किया गया। 2005 ई0 के अधिवेशन में पढ़े गए शोध पत्रों के प्रकाशन हेतु तत्कालीन महामंत्री डॉ० ज्योति स्वरूप दुबे के मन में यह विचार आया कि इनके प्रकाशन हेतु एक पत्रिका की व्यवस्था भी की जाए। अतः 2006 ई० में 'पारमिता' वार्षिक पत्रिका ने आकार लिया जो अनवरत प्रकाशित हो रही है। 'पारमिता' नाम 'अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के तत्कालीन अध्यक्ष प्रो० एस०पी० दुबे ने सुझाया था। 2007 ई० में इस पत्रिका को आई.एस.एस.एन. - 0975-2560 प्राप्त हुआ जिससे इसकी गरिमा में वृद्धि हुई। 2005 ई0 के पश्चात् प्रतिवर्ष स्वतंत्र रूप से इस परिषद् के अधिवेशन सम्पादित हो रहे हैं। दर्शनानुरागियों ने उत्साहपूर्वक इसमें अपनी भागीदारी भी सुनिश्चित की है, आजीवन सदस्यता भी लिया है तथा प्रकाशन में सहयोग भी दिया है परिषद् द्वारा कुछ पुरस्कार दिए जाते रहे हैं जिनको सन् 2006-2007 ई० से सुनियोजित स्वरूप प्रदान किया गया 'दार्शनिक प्रतिभा सम्मान' 2005 ई० के पूर्व भी प्रचलित था जिसे 2006 ई० से आयोजक महाविद्यालय / विश्वविद्यालय / विभाग के दार्शनिक रूप से जिज्ञासु विद्यार्थियों को दिया जाता है। परिषद् के कार्यक्रमों से आकर्षित होकर अनेक दानदाताओं ने अन्य अनेक पुरस्कारों एवं व्याख्यानमालाओं हेतु स्थायी निधि में राशि प्रदान की है। परिषद् का सर्वश्रेष्ठ आकर्षण 'दर्शन श्री' पुरस्कार 2006 ई० से से ही प्रारम्भ हुआ जो मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के उल्लेखनीय दार्शनिकों को प्रतिवर्ष अनवरत रूप से दिया जाता है। डॉ० इन्द्रा वर्मा ने अपने पिता की स्मृति में 2006 ई० से 'युवा चिन्तक पुरस्कार' प्रारम्भ किया जो सर्वश्रेष्ठ शोध-पत्र वाचक प्रतिभागी को दिया जाता था। तत्कालीन महामंत्री डॉ० ज्योति स्वरूप दुबे द्वारा अथक प्रयासों से परिषद् की वेबसाइट भी बनवायी गई जिसका 'अमरकंटक' अधिवेशन में लोकापर्ण हुआ। इनके निर्देशन में वेबसाइट एवं पत्रिका का प्रकाशन सुचारू रूप से चलता रहा। तदुपरान्त ग्वालियर अधिवेशन में डॉ० सुरेन्द्र सिंह नेगी के स्थान पर डॉ० प्रियव्रत शुक्ल ने अध्यक्ष पद संभाला। कुलपति बनने के पश्चात् डॉ० शुक्ल ने स्वेच्छा से पद त्याग कर दिया अतः डॉ० प्रियव्रत शुक्ल के स्थान पर डॉ० दीपा पाण्डेय को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी गई। 2013 ई0 के रीवा अधिवेशन में महामंत्री डॉ० ज्योति स्वरूप दुबे के स्थान पर डॉ० पी०के० खरे को महामंत्री का दायित्व प्राप्त हुआ। तत्पश्चात् रीवा अधिवेशन 2017 में डॉ० पी० के० खरे द्वारा अनिच्छा व्यक्त करने के कारण महामंत्री पद की जिम्मेदारी डॉ० जे०पी० शाक्य को दी गई। इन्होंने कई अधिवेशनों का संचालन सफलतापूर्वक किया तथा इनके कार्यकाल में परिषद् को एक उल्लेखनीय उपलब्धि भी प्राप्त हुई जिसके अन्तर्गत परिषद् का पंजीकरण नीति आयोग में डॉ० ज्योति स्वरूप दुबे के सहयोग से कराया गया। डॉ० दीपा पाण्डेय के पश्चात् डॉ० सुरेन्द्र सिंह नेगी को पुनः अध्यक्ष बनाया गया। राजनादगाँव अधिवेशन 2020 (सत्र 2019-2020 ई0) में महामंत्री डॉ० जे० पी० शाक्य ने व्यक्तिगत रूप से असमर्थता जाहिर की। फलस्वरूप महामंत्री पद की जिम्मेदारी प्रो० श्रीकान्त मिश्र को प्रदान की गई। अगला अधिवेशन सत्र-2020-21 का आयोजन रीवा में किया गया इस अधिवेशन में महामंत्री प्रो० श्रीकान्त मिश्र ने यह अनुभव किया कि परिषद् में जो व्याख्यानमालाएँ तथा पुरस्कार हैं, उस हेतु धन की प्राप्ति व वितरण की विधि संतोषजनक नहीं है। कारण था कि व्याख्यानमालाओं अथवा पुरस्कारों के प्रवर्तक, से सम्बन्धित अधिवेशन में होने वाले व्यय की अपेक्षा की जाती थी और उनसे धनराशि प्राप्त होने की स्थिति में व्याख्यानदाताओं तथा पुरस्कारों के प्राप्तकर्ताओं को मानदेय / धनराशि प्रदान की जाती थी। इसे देखकर महामंत्री प्रो० श्रीकान्त मिश्र ने 2020-21 के रीवा अधिवेशन में यह प्रस्ताव दिया कि परिषद् में केवल उन्हीं व्याख्यानमालाओं तथा पुरस्कारों का संचालन किया जाएगा जिनके लिए स्थाई निधि (एक मुश्त) जमा हो और इनका संचालन उस स्थाई निधि के ब्याज से किया जाएगा। इस प्रस्ताव को आमसभा ने सर्वसम्मति से अनुमोदित किया तत्पश्चात् अद्यावधि (दिनांक 29-09-2023 तक) परिषद् में निम्नानुसार व्याख्यानमालाओं / पुरस्कारों हेतु स्थाई निधि प्राप्त हुई है-

क्रमांक व्याख्यानमाला/पुरस्कार स्थाई निधि की राशि प्रवर्तक का नाम व पता
1. स्वामी प्रशान्तानन्द व्यावहारिक वेदान्त व्याख्यानमाला 50,000 = 00 प्रो० श्रीकान्त मिश्र, दर्शन विभाग, अ० प्र० सिंह विश्वविद्यालय रीवा म.प्र. मो.-8085224496
2. स्वामी श्री नारायण तीर्थ देव स्मृति योग व्याख्यानमाला 50,000 = 00 डॉ० एच. एन. सिंह (पूर्व सीएमएचओ, रीवा) वार्ड 10/1292, वाल्मीकि आश्रम के पास अरुण नगर, रीवा, मो.- 9893813175
3. श्री रमण महर्षि व्याख्यानमाला 50,000 = 00 डॉ० गौतम कलोत्रा दर्शन विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली, मो.- 8826661546
4. स्वामी श्री विष्णुतीर्थ देव स्मृति वेदान्त व्याख्यानमाला 50,100 = 00 डॉ० एच. एन. सिंह (पूर्व सीएमएचओ, रीवा) वार्ड 10/1292, वाल्मीकि आश्रम के पास अरुण नगर, रीवा, मो.- 9893813175
5. स्वामी- श्री शंकर पुरुषोत्तम तीर्थ नीति दर्शन व्याख्यानमाला 50,150 = 00 डॉ० एच. एन. सिंह (पूर्व सीएमएचओ, रीवा) वार्ड 10/1292, वाल्मीकि आश्रम के पास अरुण नगर, रीवा, मो.- 9893813175
6. स्वामी श्री योगेन्द्र विज्ञानी स्मृति योग व्याख्यानमाला 50,000 = 00 डॉ० एच. एन. सिंह (पूर्व सीएमएचओ, रीवा) वार्ड 10/1292, वाल्मीकि आश्रम के पास अरुण नगर, रीवा, मो.- 9893813175
7. संत कबीरदास दर्शन व्याख्यानमाला 50,151 = 00 डॉ० एच. एन. सिंह (पूर्व सीएमएचओ, रीवा) वार्ड 10/1292, वाल्मीकि आश्रम के पास अरुण नगर, रीवा, मो.- 9893813175
8. संत रविदास व्याख्यानमाला 50,000 = 00 डॉ० एच. एन. सिंह (पूर्व सीएमएचओ, रीवा) वार्ड 10/1292, वाल्मीकि आश्रम के पास अरुण नगर, रीवा, मो.- 9893813175
9. तैलंग स्वामी योग व्याख्यानमाला 50,000 = 00 डॉ० एच. एन. सिंह (पूर्व सीएमएचओ, रीवा) वार्ड 10/1292, वाल्मीकि आश्रम के पास अरुण नगर, रीवा, मो.- 9893813175
10. स्वामी तारकेश्वरानन्द वेदान्त व्याख्यानमाला 50,151 = 00 डॉ० एच. एन. सिंह (पूर्व सीएमएचओ, रीवा) वार्ड 10/1292, वाल्मीकि आश्रम के पास अरुण नगर, रीवा, मो.- 9893813175
11. श्री श्याम सिंह नेगी स्मृति वैदिक व्याख्यानमाला 50,000 = 00 प्रो० सुरेन्द्र सिंह नेगी 36, कणाद, विद्यापुरम, मकरोनिया सागर (म.प्र.), मो. 97524892812
12. श्री कीर्ति योग व्याख्यानमाला 50,000 = 00 प्रो० छाया राय 5, ई, पवनसुत अपार्टमेंट महर्षि विद्या मंदिर के सामने नर्मदा रोड, जबलपुर,(म.प्र.), मो. 9826055498
13. प्रो० सुरेन्द्र सिंह नेगी व्याख्यानमाला 50,000 = 00 श्री मनोहरलाल चौरसिया, सागर (11000), डॉ० राजेश कुमार चौरसिया, वाराणसी (11000), प्रो. श्रीकान्त मिश्र, रीवा (5000), डॉ० जे. पी. शाक्य, छतरपुर (5000), डॉ० नरेन्द्र बौद्ध, सागर (5000), डॉ० रंजना शर्मा, रायपुर (11000), डॉ० एस. एन. देवलिया, सागर (5000), डॉ० सुनीता कवीश्वर, इन्दौर (5000), डॉ० शत्रुघ्न चतुर्वेदी, सागर (5000), डॉ० संध्या मोधे, ग्वालियर (5000), डॉ० विनीता अवस्थी, होशंगाबाद (5000), श्री विनय श्रीवास्तव, सागर (1100), डॉ० राजेश कुमार सोनी, अमरकंटक (11000), डॉ० दीपा, पाण्डेय, सागर (5000), डॉ० गौतम कलोत्रा, दिल्ली (3001), श्रीमती शिवानी ठाकुर, सागर (7400)। कुल राशि 1,00,501 =00 (एक लाख पांच सौ एक रुपये)। यह राशि प्रो. सुरेन्द्र सिंह नेगी व्याख्यानमाला तथा प्रो. सुरेन्द्र सिंह नेगी ग्रन्थ पुरस्कार दोनों के लिए क्रमशः 50,000=00 तथा 50,501=00 में दानदाताओं के निर्णयानुसार विभाजित की गयी है।
14. श्रीमती मालती देवी-श्रीपुन्नीलाल पटेल स्मृति पर्यावरण दर्शन व्याख्यानमाला 50,000 = 00 भूपेन्द्र कुमार पटेल प्राध्यापक, अंग्रेजी, प्राचार्य- नवीन शासकीय महाविद्यालय नवागढ़, जिला- जाँजगीर मो. 9893907415 एवं प्रो० (श्रीमती) त्रिवेणी पटेल (राजनीतिशास्त्र), प्राचार्य- संस्कृति महाविद्यालय, मऊ, पामगढ़, जि. जाँजगीर, मो. 93001300
15. श्री हजारीलाल चैरसिया नाथपंथ दर्शन एवं योग व्याख्यानमाला 50,000 = 00 डॉ० संदीप कुमार चैरसिया एवं डॉ० रेनू चौधरी,. C/O श्री शिवकुमार चैरसिया एकता नगर, कैम्पबेल रोड, बालागंज मानस हॉस्पिटल के पास, लखनऊ मो. 9935369665
16. श्री झाड़ूराम मरावी श्रीरामचरितमानस व्याख्यानमाला 50,000 = 00 डॉ० धरम सिंह मरावी प्राध्यापक दर्शन, ठाकुर छेदीलाल महाविद्यालय जाँजगीर मो. 9826123562
17. प्रो० अशोक कुमार चटर्जी बौद्ध व्याख्यानमाला 50,000 = 00 प्रो० एस. विजय कुमार एवं प्रो० अभिमन्यु सिंह, (पूर्व आचार्य) दर्शन एवं धर्म विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, मो. 9598552454
18. रायबहादुर डॉ० हीरालाल राय ग्रन्थ पुरस्कार 50,000 = 00 प्रो० छाया राय 5, ई, पवनसुत अपार्टमेंट महर्षि विद्या मंदिर के सामने नर्मदा रोड, जबलपुर, मो. 9826055498
19. प्रो० सुरेन्द्र सिंह नेगी ग्रन्थ पुरस्कार 50,501 = 00 श्री मनोहरलाल चौरसिया, सागर (11000), डॉ० राजेश कुमार चौरसिया, वाराणसी (110.00), प्रो.श्रीकान्त मिश्र, रीवा (5000), डॉ० जे. पी. शाक्य, छतरपुर (5000), डॉ० नरेन्द्र बौद्ध, सागर (5000), डॉ० रंजना शर्मा, रायपुर (11000), डॉ० एस. एन. देवलिया, सागर (5000), डॉ० सुनीता कवीश्वर, इन्दौर (5000), डॉ० शत्रुघ्न चतुर्वेदी, सागर (5000), डॉ० संध्या मोधे, ग्वालियर (5000), डॉ०विनीता अवस्थी, होशंगाबाद (5000), श्री विनय श्रीवास्तव, सागर (1100), डॉ० राजेश कुमार सोनी, अमरकंटक (11000), डॉ० दीपा, पाण्डेय, सागर (5000), डॉ० गौतम कलोत्रा, दिल्ली (3001), श्रीमती शिवानी ठाकुर, सागर (7400)। कुल राशि 1,00,501=00 (एक लाख पांच सौ एक रुपये)। यह राशि प्रो० सुरेन्द्र सिंह नेगी व्याख्यानमाला तथा प्रो० सुरेन्द्र सिंह नेगी ग्रन्थ पुरस्कार दोनों के लिए क्रमशः 50,000=00 तथा 50,501=00 में दानदाताओं के निर्णयानुसार विभाजित की गयी है। मो. 9826055498
20. श्री श्रीराम पाण्डेय युवा दार्शनिक पुरस्कार 50,000 = 00 प्रो० दीपा पाण्डेय 335, एकता कॉलोनी के पास, एस.बी.आई. पीलीकोठी रोड, सागर, मो. 9826038418
21. पं. राम बिलास मिश्र युवा दार्शनिक पुरस्कार 50,000 = 00 प्रो० श्रीकान्त मिश्र, दर्शन विभाग, अ० प्र० सिंह विश्वविद्यालय रीवा म.प्र. मो.- 8085224496
22. श्रीमती बवनी सिंह-श्री वंशरूप सिंह युवा दार्शनिक पुरस्कार 50,000 = 00 डॉ० एच. एन. सिंह (पूर्व सीएमएचओ, रीवा) वार्ड 10/1292, वाल्मीकि आश्रम के पास अरुण नगर, रीवा, मो.- 9893813175
23. प्रो० अशोक कुमार चटर्जी युवा दार्शनिक पुरस्कार 25,000 = 00 प्रो० एस. विजय कुमार एवं प्रो० अभिमन्यु सिंह, (पूर्व आचार्य) दर्शन एवं धर्म विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी, मो. 9598552454
24. प्रो० हेमन्त नामदेव युवा दार्शनिक पुरस्कार 25,000 = 00 डॉ० देवदास साकेत, दर्शन विभाग अ० प्र० सिंह विश्वविद्यालय, रीवा, मो. 9479648349 डॉ. ज्योति गोयल,दर्शन विभाग, शासकीय माधव कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय उज्जैन, मो.9770249688
25. दर्शन श्री सम्मान ----------- दर्शन परिषद् (मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़)

कोरोनाकाल सन् 2021 में परिषद् के अध्यक्ष प्रो० एस०एस० नेगी जी के आकस्मिक निधन के कारण सत्र 2021-22 के रीवा अधिवेशन में परिषद् के नई कार्यकारिणी का गठन हुआ, जो निम्नानुसार है-
अध्यक्ष- प्रो० भरत तिवारी, जबलपुर
उपाध्यक्ष- डॉ० राकेश सोनी, अमरकंटक
डॉ० अवनीश चंद पाण्डेय, बलिया
डॉ० राजेश कुमार चौरसिया, वाराणसी
सचिव - प्रो० श्रीकान्त मिश्र, रीवा
सह सचिव- डॉ० विवेक कुमार पाण्डेय, वाराणसी
डॉ० दिनेश पाटीदार, ग्वालियर
डॉ० रेनू चौधरी, प्रयागराज
कोषाध्यक्ष- डॉ० देवदास साकेत, रीवा